रंगोली हमारे देश में प्राचीन काल से ही बनाते आ रहे है यानी शुरू से ही ये परम्परा और लोक कला रही है | अलग अलग राज्यों में इसे अलग अलग नामों से जरूर पुकारते है पर इसे बनाने के पीछे कही न कही भावना जरूर एक रहती है | इसे सामान्यतः त्योहार, व्रत, पूजा, उत्सव विवाह आदि शुभ अवसरों पर सूखे और नेचुरल कलर्स से महिलाओं द्वारा बनाया जाता है।
अगर कोई किसी उत्सव में बना रहा है या कोई देवी देवताओं के दिन पर बना रहा है तो हो सकता है दोनों के पैटर्न अलग हो | कही कही इसे फूलोँ, लकड़ी के बुरादे या चावला से भी बनाया जाता है |
तो आइये जान लेते है रंगोली के बारें में कुछ मुख्य मुख्य बातें-
# प्राचीन काल से शुरुआत
रंगोली का प्राचीन नाम अल्पना रहा है, मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से भी अल्पना के चिन्ह मिलते है | ‘अल्पना’ शब्द संस्कृत के – ‘ओलंपेन’ से बना है, जिसका अर्थ है – लेप करना | उस समय लोगों का विश्वास की ये चित्र उनकी संपत्तियों की रक्षा करते है और उनके धन में वृद्धि करते है और इनमे एक जादुई शक्ति है |
# धार्मिक और सांस्कृतिक आस्थाओं का प्रतीक
रंगोली को विभिन्न धार्मिक कार्यों जैसे हवन, यज्ञ और अन्य कोई मांगलिक अवसरों पर प्रवेश द्वार पर , बीच में या साइड में बड़े शौंक और उत्साह से बनाया जाता है | घर में शादी हो या कोई शुभ अवसर हो अपने अपने रीति रिवाज के अनुसार माँडनों को घर के आँगन या दीवारों पर बनाया जाता है | कई घरों में तो उनके देवी देवताओं के स्थान के आगे रंगोली बनाने की परम्परा भी रही है |
# अलग अलग राज्य अलग अलग नाम
रंगोली को विभिन्न राज्यों में विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे – उत्तर प्रदेश में चौक पूरना, राजस्थान में मांडना, बिहार में अरिपन, बंगाल में अल्पना, महाराष्ट्र में रंगोली, कर्नाटक में रंगवल्ली, तमिलनाडु में कोल्लम, उत्तरांचल में ऐपण, आंध्र प्रदेश में मुग्गु या मुग्गुलु, हिमाचल प्रदेश में ‘अदूपना’, कुमाऊँ में लिखथाप या थापा, तो केरल में कोलम।
तो इन अलग अलग राज्यों में रंगोली के डिजाइन और उसे बनाने का उद्देश्य अलग अलग होता है | कही फूलोँ से तो कहीं चावल के आटे से तो कही रंगों से तो कही लकड़ी के बुरादे से जैसे जिनका रिवाज़ है उसी हिसाब से सब कुछ अलग अलग | पोंगल पर तो बहुत अच्छे अच्छे pongal rangoli designs बनाये जाते है |
# रंगोली सूखी और गीली दोनों तरह की होती है
सूखी जैसे जमीन पर सूखें रंगों से या फूलों से , फूलों से जमीन या दीवार पर दोनों जगह बना सकते है | गीली रंगोली का वहाँ बनाते है जहाँ पर इसे हमें परमानेंट रखना होता है जैसे घर की या देवी देवताओं के स्थानों की जगहों पर | सूखी रंगोली सामान्यतः त्योहारों या विवाह अवसर पर बनाई जाती है | (यह पोस्ट भी पढ़ें- लोहड़ी के लिए लेटेस्ट मेहंदी डिज़ाइन)
# रंगोली और कॉर्पोरेट जगत
कॉर्पोरेट जगत की बात हो रही है तो ऐसा कैसे हो सकता है तब एच आर की बात ना हो तो ऑफिस वगैरह में रंगोली बनाने का काम खासकर एच आर द्वारा देखा जाता है | ऑफिसों में किसी विशेष अवसर पर या विशेष त्योहार पर रंगोली बड़े चाव से बनाई जाती है जो वहाँ पर पूरा संस्कृतिक माहौल बना देती है |
# अंतिम सार
तो संक्षेप में कह सकते है चाहे गांव हो या शहर या कोई ऑफिस सब जगह रंगोली का ख़ास महत्व है हो सकता है उनके डिजाईन या बनाने के तरीके या बनाने का उदेश्य अलग अलग हो | आपने कब कहाँ किस अवसर पर रंगोली बनाई है हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर जरुर शेयर करें हमें जानकार ख़ुशी होगी |
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