तीज हो या करवा चौथ हो या हो कोई ओर त्योंहार, मेहंदी का तो हाथों पर रचना ही होगा | और हाँ, हम शादी कैसे भूल सकते है..दुल्हन के हाथों पैरों पर अच्छे से डिजाइन में मेहंदी लगाई जाती है | दुल्हन के हाथों पर मेहंदी से दूल्हे का नाम लिखा जाता है और जिसे दूल्हे को खोजना होता है | गाने भी बहुत सुने होंगे आपने जैसे – “मेहंदी लगा के रखना ” या “मेहंदी है रचने वाली “
तो आप सोचने लग रहे होंगे मैं ये सब आपको क्यों बता रही हूँ कि मेहंदी हमारे हरेक मांगलिक काम का हिस्सा बन चुकी है | जब आप इस मेहंदी के सुंदर से डिजाइन देखते होंगे तो मन में जरूर आता होगा कि आखिर ये मेहंदी कैसे भारत में आई , क्यों बनी इतनी पॉपुलर ये मेहंदी , कैसे ये शादी पर या त्योहारों पर मेहंदी लगाने की परंपरा शुरू हुई और कैसे इतने सारे mehndi designs बने | भई इंसान है हम तो जिज्ञासा तो पैदा होगी ही इन सब सवालों के जवाब जानने की |
तो इस टाइमलाइन में हम आपको बताएंगे मेहंदी का इतिहास, मेहंदी से जुडी कुछ मान्यताएं, मेहंदी से जुड़े कुछ किस्से और कुछ फैक्ट्स-
# मेहंदी और माँ दुर्गा का महाकाली रूप
कुछ लोक कथाओं के अनुसार मेहंदी का संबंध माँ दुर्गा के महाकाली रूप से माना जाता है | बात यू है कि स्वर्ग में देवताओं और ऋषियों पर राक्षसों का प्रकोप बढ़ रहा था | राक्षसों इन सब हरकतों से माँ दुर्गा परेशान थी उन्होनें इन राक्षसों को सबक सिखाने के लिए महाकाली का रूप धारण किया और उन राक्षसों का विनाश करना शुरू कर दिया | जब माँ महाकाली राक्षसों का विनाश कर रही थी तो उनका शरीर राक्षसों के रक्त से भीग चूका था और माँ का ये रूप देवताओ और ऋषियों को भी परेशान कर रहा था | माँ का यह रूप देखकर वे भयभीत हो चुके थे | तब वे भगवान इंद्र के पास गये और उन्हें यह बात बताई | भगवान इंद्र ने उन्हें कहा कि देवी को सिर्फ और सिर्फ अब देवो के देव महादेव ही रोक सकते है | इंद्र की बात मानकर देवता और ऋषि मिलकर भगवान महादेव के पास पहुचें और उन्हें पूरा हाल सुनाया |
भगवान महादेव ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे माता को शांत कर देंगे | उनके जाने पश्चात् भगवान ने माता को एहसास करवाया कि उनके इस रूप से सभी भयभीत है | तब माँ दुर्गा ने अपनी इच्छा शक्ति से एक देवी उत्पन्न की जो की बहुत ही सुन्दर थी | माँ दुर्गा ने उस देवी को आदेश दिया कि वो औषधि बनकर हाथों और पैरों में सज जाए | जिसके बाद माँ दुर्गा उससे श्रृंगारित होकर बहुत प्रसन्न हुयी और उसे वरदान दिया – “हे देवी ! जिस प्रकार आपने मेरी शोभा बढाई है, ठीक उसी प्रकार इस जगत की सभी स्त्रियों का सौंदर्य भी बढ़ाओ और औषधि के रूप में पूजित हो”
तब से मेहंदी महिलाओं द्वारा सभी मांगलिक कार्यों में लगाई जाती है जाहे उनकी शादी हो, त्योंहार तीज हो या करवा चौथ
# मेहंदी का प्राचीन काल का इतिहास
मेहंदी का इतिहास प्राचीन मिस्र से 9000 साल पुराना माना जाता है तब वे लोग अपने बालों और हाथों को रंगने के लिए मेहंदी का प्रयोग करते थे | आइर्स पैपिरस एक औषधि से संबंधित किताब है उसके अनुसार मेंहदी 1,550 ईसा पूर्व के आसपास रही होगी और उस समय लोग चोटों के उपचार में करते थे | इस किताब में मेहंदी के औषधीय लाभों के बारे में भी बताया है |
कैथरीन कार्टराइट-जोन्स का मानना है कि मेंहदी क्रेते, ग्रीस से आई थी। इसका इतिहास 3,000 से 6,000 ईसा पूर्व तक पुराना है | लेकिन कुछ इतिहासकार मानते है कि मेहंदी प्राचीन भारत की देन है | अजंता (भारत) में, कई भित्ति चित्रों में महिलाओं को शारीरिक रंग के रूप में मेंहदी के साथ चित्रित किया गया है।
# मेहंदी और मध्यकालीन भारत
मध्यकालीन भारत में 12 शताब्दी में मुग़ल सल्तनत में रानियाँ मेहंदी से सजना पसंद करती थी | इस काल में मेहंदी का औषधि के रूप में प्रयोग भी किया जाता था |
# हेना की रात
समय के साथ साथ मेहंदी भारतीय समाज का हिस्सा बन गयी | पूर्व-शादी “हेना की रात” या “मेहंदी की रात” लोकप्रिय हो गईं जिसमे दुल्हन के मेहंदी लगाई जाती है और रीति रिवाज निभाये जाते है |
# मेहंदी और बॉलीवुड
मेहंदी के नाम पर बॉलीवुड में बहुत सी मूवीज़ भी बनी है जैसे – मेहंदी , महबूब की मेहंदी और भी बहुत सी | ऐसे ही बहुत से गाने भी बने है तो बॉलीवुड का तो मेहंदी से गहरा नाता रहा है |
# मेहंदी और ज्योतिष शास्त्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि अगर किसी पर गृह का कुप्रभाव है या दांपत्य संबंधों में दरार है, तो इस सब समस्याओं के समाधान में भी मेहंदी बहुत कारागार है | मेंहदी का लाल सुर्ख रंग जीवन में खुशहाली लाने का प्रतीक माना गया है।
# मेहंदी और आधुनिक समय
आज के समय में तो मेहंदी हमारे जीवन का ख़ास हिस्सा बन गयी है | महिलाएं बहुत से डिज़ाइन्स में मेहंदी लगाने लगी है | मेहंदी आर्टिस्ट तो तरह तरह के डिज़ाइन्स बनाती है जिसे देखकर मन इतना खुश हो जाता है जिसकी कोई सीमा नही |
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